Sunday, 30 April 2023

इदं कृतं इदं नेति

अष्टावक्र गीता

अध्याय १६

श्लोक ५

इदं कृतं इदं नेति द्वन्द्वैर्मुक्तं यदा मनः।।

धर्मार्थकाममोक्षेषु निरपेक्षं तदा भवेत्।।५।।

(इदं कृतं इदं न - इति द्वन्द्वैः मुक्तं यदा मनः। धर्म - अर्थ - काम - मोक्षेषु निरपेक्षं तदा भवेत्।।)

अर्थ : जीवन के धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष इन चार श्रेयस्कर पुरुषार्थों अर्थात् प्रयोजनों के संबंध में ' यह कर लिया है, और यह अभी नहीं किया है - करना है', इत्यादि द्वन्द्वों से मन जैसे ही मुक्त हो जाता है वैसे ही वास्तविक रूप से निरपेक्ष (उदासीन और स्थितप्रज्ञ) हो जाता है।

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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ

ಅಧ್ಯಾಯ ೧೬

ಶ್ಲೋಕ ೫

ಇದಂ ಕೃತಮಿದಂ ನೇತಿ

ದ್ವನ್ದ್ವೈರ್ಮುಕ್ತಂ ಯದಾ ಮನಃ||

ಧರ್ಮಾರ್ಥಕಾಮಮೋಕ್ಷೇಷು

ನಿರಪೇಕ್ಷಂ ತಥಾ ಭವೇತ್||೫||

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Ashtavakra Gita

Chapter 16

Stanza 5

When the mind is free from such pairs of opposites as "this is done" and "this is not done" it becomes indifferent to religious merit (धर्म / Dharma), worldly prosperity (अर्थ / artha), desire of sensual enjoyment (काम / kAma) and of liberation (मोक्ष / mokSha).

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