Tuesday, 4 April 2023

अर्थानर्थौ न मे स्थित्वा

अष्टावक्र गीता

अध्याय१३

श्लोक ५

अर्थानर्थौ न मे स्थित्वा गत्या न शयनेन वा।।

तिष्ठन् गच्छन् स्वपन् तस्मादहमासे यथासुखम्।।५।।

(अर्थ-अनर्थौ न मे स्थित्वा गत्या न शयनेन वा। तिष्ठन् गच्छन् स्वपन् तस्मात् अहं आसे यथासुखम्।।)

अर्थ : कहीं भी होने, रहने, आने या जाने या निद्रा में सो जाने से मुझे कोई भी प्रयोजन, लाभ या हानि नहीं है। इसलिए कहीं भी होने, आने या जाने, सुषुप्ति (या जागृत अवस्था) में भी मैं सदैव सुख-पूर्वक होता हूँ।

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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ

ಅಧ್ಯಾಯ ೧೩

ಶ್ಲೋಕ ೫

ಅರ್ಥಾನರ್ಥೌ ನ ಮೇ ಸ್ಥಿತ್ವಾ

ಗತ್ಯಾ ನ ಶಯನೇನ ವಾ||

ತಿಷ್ಠನ್ ಗಚ್ಛನ್ ಸ್ವಪನ್ ತಸ್ಮಾ-

ದಹಮಾಸೇ ಯಥಾಸುಖಮ್||೫||

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Ashtavakra Gita

Chapter 13

Stanza 5

No good or evil accrues to me by staying, going or sleeping. So I live happily whether I stay, go or sleep.

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