Friday, 14 April 2023

सर्वभूतेषु चात्मानं

अष्टावक्र गीता

अध्याय १५

श्लोक ६

सर्वभूतेषु चात्मानं सर्वभूतानि चात्मनि।।

विज्ञाय निरहंकारो निर्ममस्त्वं सुखी भव।।६।।

(सर्वभूतेषु च आत्मानं सर्वभूतानि च आत्मनि। विज्ञाय निरहंकारः निर्ममः त्वं सुखी भव।।)

अर्थ : समस्त भूतों में आत्मा अर्थात् स्वयं अपने आपको और समस्त भूतों को भी आत्मा अर्थात् स्वयं अपने आपमें विद्यमान जानते हुए तुम अहंकार से शून्य और "मेरे" अर्थात् ममत्व (की भावना) से रहित होकर सुखी हो जाओ।

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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ

ಅಧ್ಯಾಯ ೧೫

ಶ್ಲೋಕ ೬

ಸರ್ವಭೂತೇಷು ಚಾತ್ಮಾನಂ

ಸರ್ವಭೂತಾನಿ ಚಾತ್ಮನಿ||

ವಿಜ್ಞಾಯ ನಿರಹಂಕಾರೋ 

ನಿರ್ಮಮಸ್ತ್ವಂ ಸುಖೀ ಭವ||೬||

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Ashtavakra Gita

Chapter 15

stanza 6

Realizing the Self in all and all in the Self, free from egoism and free from the sense of 'mine,' be you happy.

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