अष्टावक्र गीता
अध्याय १३
श्लोक ६
स्वपतो नास्ति मे हानिः सिद्धिर्यत्नवतो न वा।।
नाशोल्लासौविहायास्मादहमासे यथासुखम्।।६।।
(स्वपतः न अस्ति मे हानिः सिद्धिः यत्नवतः न वा। नाश उल्लास विहायास्मात् अहं आसे यथासुखम्।।)
अर्थ : न तो सुषुप्त होने से मुझे कोई हानि होती है, और न यत्न करने से कोई लाभ। इसलिए हानि-लाभ, के शोक या प्रसन्नता से रहित मैं नित्य और सदा ही सुखपूर्वक रहता हूँ।
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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ
ಅಧ್ಯಾಯ ೧೩
ಸ್ವಪತೋ ನಾಸ್ತಿ ಮೇ ಹಾನಿಃ
ಸಿದ್ಧಿರ್ಯತ್ನವತೋ ನ ವಾ||
ನಾಶೋಲ್ಲಾಹೌವಿಹಾಯಾಸ್ಮಾ-
ದಹಮಾಸೇ ಯಥಾಸುಖಮ||೬||
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Ashtavakra Gita
Chapter 13
Stanza 6
By going to sleep I have no loss whatsoever, nor gain whatsoever by making efforts and keeping awake. By giving up thought of loss or gain, I stay in peace and bliss all the time.
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