Wednesday, 5 April 2023

स्वपतो नास्ति मे हानिः

अष्टावक्र गीता

अध्याय १३

श्लोक ६

स्वपतो नास्ति मे हानिः सिद्धिर्यत्नवतो न वा।।

नाशोल्लासौविहायास्मादहमासे यथासुखम्।।६।।

(स्वपतः न अस्ति मे हानिः सिद्धिः यत्नवतः न वा। नाश उल्लास विहायास्मात् अहं आसे यथासुखम्।।)

अर्थ  : न तो सुषुप्त होने से मुझे कोई हानि होती है, और न यत्न करने से कोई लाभ। इसलिए हानि-लाभ, के शोक या प्रसन्नता से रहित मैं नित्य और सदा ही सुखपूर्वक रहता हूँ।

--

ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ

ಅಧ್ಯಾಯ ೧೩

ಸ್ವಪತೋ ನಾಸ್ತಿ ಮೇ ಹಾನಿಃ

ಸಿದ್ಧಿರ್ಯತ್ನವತೋ ನ ವಾ||

ನಾಶೋಲ್ಲಾಹೌವಿಹಾಯಾಸ್ಮಾ-

ದಹಮಾಸೇ ಯಥಾಸುಖಮ||೬||

--

Ashtavakra Gita

Chapter 13

Stanza 6

By going to sleep I have no loss whatsoever, nor gain whatsoever by making efforts and keeping awake. By giving up thought of loss or gain, I stay in peace and bliss all the time.

***

No comments:

Post a Comment