अष्टावक्र गीता
अध्याय १४
श्लोक ३
विज्ञाते साक्षिपुरुषे परमात्मनि चेश्वरे।।
नैराश्येबन्धमोक्षे च न चिन्ता मुक्तये मम।।४।।
(विज्ञाते साक्षिपुरुषे परमात्मनि च ईश्वरे। नैराश्ये बन्धमोक्षे च न चिन्ता मुक्तये मम।।)
अर्थ : परमात्मा और ईश्वर, -साक्षिपुरुष को जान लिए जाने पर अब बन्धन और मोक्ष की आशा और निराशा से न तो मेरा कोई प्रयोजन, और न उसकी चिन्ता ही रह गई है।
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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ
ಅಧ್ಯಾಯ ೧೪
ಶ್ಲೋಕ ೩
ವಿಜ್ಞಾತೇ ಸಾಕ್ವಿಪುರುವೇ
ಪರಮಾತ್ಮನಿ ಚೇಶ್ವರೇ ||
ನೈರಾಶ್ಯೇ ಬನ್ದಮೋಕ್ಷೇ ಚ
ನ ಚಿನ್ತಾ ಮುಕ್ತಯೇ ಮಮ||೩||
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Ashtavakra Gita
Chapter 14
Stanza 3
As I have realized the Supreme Self Who is the Witness and the Lord, and have lost all desire for bondage and liberation, I feel no anxiety for emancipation.
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