अष्टावक्र गीता
अध्याय १३
श्लोक ७
सुखादिरूपानियमं भावेष्वालोक्य भूरिशः।।
शुभाशुभे विहायास्मादहमासे यथासुखम्।।७।।
(सुख आदिरूपा नियमं भावेषु आलोक्य भूरिशः। शुभ-अशुभे विहायास्मात् अहं आसे यथासुखम्।।)
अर्थ : सुख-दुःख आदि भावनाएँ किस प्रकार सतत बदलती हैं, इसका पुनः पुनः अवलोकन करने के बाद मैंने शुभ और अशुभ दोनों को ही त्याग दिया और मैं सुखपूर्वक रहता हूँ।
||इति त्रयोदशाध्यायः||
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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ
ಅಧ್ಯಾಯ ೧೩
ಶ್ಲೋಕ ೭
ಸುಖಾದಿರೂಪಾನಿಯಮಂ
ಭಾವೇಷ್ವಾಲೋಕ್ಯ ಭೂರಿಶಃ||
ಶುಭಾಶುವೇ ವಿಹಾಯಾಸ್ಮಾ-
ದಹಮಾಸೇ ಯಥಾಸುಖಮ್||೭||
||ಇತಿ ತ್ರಯೋದಶಾಧ್ಯಾಯಃ||
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Ashtavakra Gita
Chapter 13
Stanza 7
Observing again and again the fluctuations of pleasures, etc., under different conditions, I have renounced good and evil and am happy.
Thus concludes chapter 13 of the text :
Ashtavakra Gita.
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