Wednesday, 5 April 2023

सुखादिरूपानियमम्

अष्टावक्र गीता

अध्याय १३

श्लोक ७

सुखादिरूपानियमं भावेष्वालोक्य भूरिशः।।

शुभाशुभे विहायास्मादहमासे यथासुखम्।।७।।

(सुख आदिरूपा नियमं भावेषु आलोक्य भूरिशः। शुभ-अशुभे विहायास्मात् अहं आसे यथासुखम्।।)

अर्थ : सुख-दुःख आदि भावनाएँ किस प्रकार सतत बदलती हैं, इसका पुनः पुनः अवलोकन करने के बाद मैंने शुभ और अशुभ दोनों को ही त्याग दिया और मैं सुखपूर्वक रहता हूँ।

||इति त्रयोदशाध्यायः||

--

ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ

ಅಧ್ಯಾಯ ೧೩

ಶ್ಲೋಕ ೭

ಸುಖಾದಿರೂಪಾನಿಯಮಂ

ಭಾವೇಷ್ವಾಲೋಕ್ಯ ಭೂರಿಶಃ||

ಶುಭಾಶುವೇ ವಿಹಾಯಾಸ್ಮಾ-

ದಹಮಾಸೇ ಯಥಾಸುಖಮ್||೭||

||ಇತಿ ತ್ರಯೋದಶಾಧ್ಯಾಯಃ||

--

Ashtavakra Gita

Chapter 13

Stanza 7

Observing again and again the fluctuations of pleasures, etc., under different conditions, I have renounced good and evil and am happy. 

Thus concludes chapter 13 of the text :

Ashtavakra Gita.

***

No comments:

Post a Comment