अष्टावक्र गीता
अध्याय ३
श्लोक ११
मायामात्रमिदंविश्वं पश्यन् विगतकौतुकः।
अपि सन्निहिते मृत्यौ कथं त्रस्यति धीरधीः।।११।।
(माया-मात्रं इदं विश्वं पश्यन् विगतकौतुकः। अपि सन्निहिते मृत्यौ कथं त्रस्यति धीरधीः।।)
अर्थ : इस समस्त दृश्यजगत् को केवल माया ही समझकर उसी दृष्टि से देखते हुए, धीर पुरुष कदापि विस्मित नहीं होता, यहाँ तक कि मृत्यु सन्निकट होने पर भी वह उससे त्रस्त नहीं होता।
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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ
ಅಧ್ಯಾಯ ೩
ಶ್ಲೋಕ ೧೧
ಮಾಯಾಮಾತ್ರಮಿದಂ ವಿಶ್ವಂ ಪಶ್ಯನ್ ವಿಗತಕೈತುಕಃ||
ಅತಿ ಸನ್ನಿಹಿತೀ ಮೃತ್ಯೌ ಕಥಂ ತ್ರಸ್ಯತಿ ಧೀರಧೀಃ||೧೧||
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Ashtavakra Gita
Chapter 3
Stanza 11
Viewing this universe as mere illusion and losing all interest therein, how can one of steady mind fear even the approach of death!
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