Thursday, 12 January 2023

उदेति भवतो विश्वम्

अष्टावक्र गीता

अध्याय ५

श्लोक २

उदेति भवतो विश्वं वारिधेरिव बुद्बुदः।।

इति ज्ञात्वैकमात्मानमेवमेवलयं व्रज।।२।।

(उदेति भवतः विश्वं वारिधेः इव बुद्बुदः। इति ज्ञात्वा एकं आत्मानं एवं एव लयं व्रज।।)

अर्थ : जैसे समुद्र में बुद्बुद् उठा करते हैं, उसी प्रकार से (तुम्हारा) विश्व तुममें और तुमसे - आत्मा से ही अस्तित्व में आता है। यह जानकर इस सब दृश्य का लय आत्मा ही में कर दो।

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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ

ಅಧ್ಯಾಯ ೫

ಶ್ಲೋಕ ೨

ಉದೇತಿ ಭವತೋ ವಿಶ್ವಂ

ವಾರಿಧೇರಿವ ಬುದ್ಬುದಃ||

ಇತಿ ಜ್ಞಾತ್ವೈಕಮಾತ್ಮಾನ-

ಮೇವಮೇವ ಲಯಂ ವ್ರಜೇತ್||೨||

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Ashtavakra Gita

Chapter 5

Stanza 2

The universe rises from you like bubbles rising from the sea. Thus know the Atman to be one and enter even thus into (the state of) Dissolution.

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