अष्टावक्र गीता
अध्याय ५
श्लोक २
उदेति भवतो विश्वं वारिधेरिव बुद्बुदः।।
इति ज्ञात्वैकमात्मानमेवमेवलयं व्रज।।२।।
(उदेति भवतः विश्वं वारिधेः इव बुद्बुदः। इति ज्ञात्वा एकं आत्मानं एवं एव लयं व्रज।।)
अर्थ : जैसे समुद्र में बुद्बुद् उठा करते हैं, उसी प्रकार से (तुम्हारा) विश्व तुममें और तुमसे - आत्मा से ही अस्तित्व में आता है। यह जानकर इस सब दृश्य का लय आत्मा ही में कर दो।
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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ
ಅಧ್ಯಾಯ ೫
ಶ್ಲೋಕ ೨
ಉದೇತಿ ಭವತೋ ವಿಶ್ವಂ
ವಾರಿಧೇರಿವ ಬುದ್ಬುದಃ||
ಇತಿ ಜ್ಞಾತ್ವೈಕಮಾತ್ಮಾನ-
ಮೇವಮೇವ ಲಯಂ ವ್ರಜೇತ್||೨||
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Ashtavakra Gita
Chapter 5
Stanza 2
The universe rises from you like bubbles rising from the sea. Thus know the Atman to be one and enter even thus into (the state of) Dissolution.
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