अष्टावक्र गीता
अध्याय २
श्लोक ११
अहो अहं नमो मह्यं विनाशो यस्य नास्ति मे।।
ब्रह्मादिस्तम्बपर्यन्तं जगन्नाशेऽपि तिष्ठतः।।११।।
अर्थ :
अहो इस आत्मा की महिमा! मुझे, अर्थात् अपने आत्मस्वरूप इस आत्मा को, जिसका विनाश नहीं होता, नमस्कार है, जबकि ब्रह्मा से तृणपर्यन्त यह संपूर्ण जगत् सतत और अवश्य ही नाश की ओर अग्रसर है।
--
ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ
ಅಧ್ಯಾಯ ೨
ಶ್ಲೋಕ ೧೧
ಅಹೋ ಅಹಂ ಲಮೋ ಮಹ್ಯಂ
ವಿನಾಶೋ ಯಸ್ಯ ಲಾಸ್ತಿ ಮೇ||
ಬ್ರಹ್ಮಾದಿಸ್ತಮ್ಬಪರ್ಯನ್ತಂ
ಜಗನ್ನಾಶೇऽಪಿ ತಿಷ್ಠತಃ||೧ಚ||
--
Ashtavakra Gita
Chapter 2
Stanza 11
Wonderful am I! Adoration to Myself, Who know no decay and survive even the destruction of the world from Brahma down to the clump of grass!
***
No comments:
Post a Comment