Saturday, 12 November 2022

एकं सर्वगतं व्योम

अष्टावक्र गीता

अध्याय १

श्लोक १९

एकः सर्वगतं व्योम बहिरन्तर्यथा घटे।।

नित्यं निरन्तरं ब्रह्म सर्वभूतगणे तथा।।१९।।

अर्थ :

जैसे घट में एक ही व्योम भीतर-बाहर सर्वत्र ही व्याप्त होता है, उसी तरह से, एक ही नित्य और निरन्तर ब्रह्म, प्रत्येक भूतमात्र में समान रूप से विद्यमान है।

।।इति प्रथमोऽध्यायः।।

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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ 

ಅಧ್ಯಾಯ ೧

ಶ್ಲೋಕ ೧೯

ಏಕಂ ಸರ್ವಗತಂ ವ್ಯೋಮ ಬಹಿರನ್ತರ್ಯಥಾ ಘಟೇ||

ನಿತ್ಯಂ ನಿರನ್ತರಂ ಬ್ರಹ್ಮ ಸರ್ಷಭೂತಗಣೇ ತಥಾ||೧೯||

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||ಇತಿ ಪ್ರಥಮೋಧ್ಯಾಯಃ||

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Ashtavakra Gita

Chapter 1

Stanza 19

As the only one and the same all-pervading ether is inside and outside a jar, even so the eternal all-pervasive Brahman exists in all things.

End of the Chapter 1 of Ashtavakra Gita.

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