अष्टावक्र गीता
अध्याय १
श्लोक १९
एकः सर्वगतं व्योम बहिरन्तर्यथा घटे।।
नित्यं निरन्तरं ब्रह्म सर्वभूतगणे तथा।।१९।।
अर्थ :
जैसे घट में एक ही व्योम भीतर-बाहर सर्वत्र ही व्याप्त होता है, उसी तरह से, एक ही नित्य और निरन्तर ब्रह्म, प्रत्येक भूतमात्र में समान रूप से विद्यमान है।
।।इति प्रथमोऽध्यायः।।
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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ
ಅಧ್ಯಾಯ ೧
ಶ್ಲೋಕ ೧೯
ಏಕಂ ಸರ್ವಗತಂ ವ್ಯೋಮ ಬಹಿರನ್ತರ್ಯಥಾ ಘಟೇ||
ನಿತ್ಯಂ ನಿರನ್ತರಂ ಬ್ರಹ್ಮ ಸರ್ಷಭೂತಗಣೇ ತಥಾ||೧೯||
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||ಇತಿ ಪ್ರಥಮೋಧ್ಯಾಯಃ||
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Ashtavakra Gita
Chapter 1
Stanza 19
As the only one and the same all-pervading ether is inside and outside a jar, even so the eternal all-pervasive Brahman exists in all things.
End of the Chapter 1 of Ashtavakra Gita.
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