Monday, 6 March 2023

कृतं न कति जन्मानि

अष्टावक्र गीता

अध्याय १०

श्लोक ८

कृतं न कति जन्मानि कायेन मनसा गिरा।।

दुःखमायासदं कर्म तदद्याप्युपरम्यताम्।।८।।

(कृतं न कति जन्मानि कायेन मनसा गिरा। दुःखं आयासदं कर्म तत् अद्य अपि उपरम्यताम्।।)

अर्थ : कितने ही जन्मों से अब तक भी क्या तुम शरीर, मन और वाणी से बहुत कष्ट के साथ, कठोर-श्रम और प्रयास से अनेक कर्म नहीं करते आ रहे हो। आज तो उन्हें करते रहना छोड़ दो!

||इति दशमोध्यायः||

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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ

ಅಧ್ಯಾಯ ೧೦

ಶ್ಲೋಕ ೮

ಕೃತಂ ನ ಕತಿ ಜನ್ಮಾನಾ

ಕಾಯೇನ ಮನಸಾ ಗಿರಾ||

ದುಃಖಮಾಯಾಸದಂ ಕರ್ಮ

ತದದ್ಯಾಪ್ಯುಪರಮ್ಯತಾಂ||೮||

||ಇತಿ ದಶಮೋಧ್ಯಾಯಃ||

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Ashtavakra Gita

Chapter 10

Stanza 8

For how many incarnations have you not done hard and painful work with your body, mind and speech! Therefore cease at least today.

Thus concludes chapter 10 of the text :

Ashtavakra Gita. 

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