अष्टावक्र गीता
अध्याय १०
श्लोक ८
कृतं न कति जन्मानि कायेन मनसा गिरा।।
दुःखमायासदं कर्म तदद्याप्युपरम्यताम्।।८।।
(कृतं न कति जन्मानि कायेन मनसा गिरा। दुःखं आयासदं कर्म तत् अद्य अपि उपरम्यताम्।।)
अर्थ : कितने ही जन्मों से अब तक भी क्या तुम शरीर, मन और वाणी से बहुत कष्ट के साथ, कठोर-श्रम और प्रयास से अनेक कर्म नहीं करते आ रहे हो। आज तो उन्हें करते रहना छोड़ दो!
||इति दशमोध्यायः||
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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ
ಅಧ್ಯಾಯ ೧೦
ಶ್ಲೋಕ ೮
ಕೃತಂ ನ ಕತಿ ಜನ್ಮಾನಾ
ಕಾಯೇನ ಮನಸಾ ಗಿರಾ||
ದುಃಖಮಾಯಾಸದಂ ಕರ್ಮ
ತದದ್ಯಾಪ್ಯುಪರಮ್ಯತಾಂ||೮||
||ಇತಿ ದಶಮೋಧ್ಯಾಯಃ||
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Ashtavakra Gita
Chapter 10
Stanza 8
For how many incarnations have you not done hard and painful work with your body, mind and speech! Therefore cease at least today.
Thus concludes chapter 10 of the text :
Ashtavakra Gita.
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