अष्टावक्र गीता
अध्याय १०
श्लोक ७
अलमर्थेन कामेन सुकृतेनापि कर्मणा।।
एभ्यः संसारकान्तारे न विश्रान्तमभून्मनः।।७।।
(अलं अर्थेन कामेन सुकृतेन अपि कर्मणा। एभ्यः संसारकान्तारे न विश्रान्तं अभूत् मनः।।)
अर्थ : सांसारिक प्रयोजनों, कामनाओं और पुण्यकर्मों को भी अब त्याग ही दो। संसार रूपी भयावह अरण्य में इससे मन की विश्रान्ति कभी नहीं हो सकती।
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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ
ಅಧ್ಯಾಯ ೧೦
ಶ್ಲೋಕ ೭
ಅಲಮರ್ಥೇನ ಕಾಮೇನ ಸುಕೃತೇನಾಪಿ ಕರ್ಮಣಾ||
ಏಭ್ಯಃ ಸಂಸಾರಕಾಂತಾರೇ ನ ವಿಶ್ರಾನ್ತಮಭೂನ್ಮನಃ||೭||
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Ashtavakra Gita
Chapter 10
Stanza 7
Enough of prosperity, desire and pious deed. The mind did not find repose in the dreary forest of the world.
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