Monday, 6 March 2023

अलमर्थेन कामेन

अष्टावक्र गीता

अध्याय १०

श्लोक ७

अलमर्थेन कामेन सुकृतेनापि कर्मणा।।

एभ्यः संसारकान्तारे न विश्रान्तमभून्मनः।।७।।

(अलं अर्थेन कामेन सुकृतेन अपि कर्मणा। एभ्यः संसारकान्तारे न विश्रान्तं अभूत् मनः।।)

अर्थ : सांसारिक प्रयोजनों, कामनाओं और पुण्यकर्मों को भी अब त्याग ही दो। संसार रूपी भयावह अरण्य में इससे मन की विश्रान्ति कभी नहीं हो सकती।

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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ

ಅಧ್ಯಾಯ ೧೦

ಶ್ಲೋಕ ೭

ಅಲಮರ್ಥೇನ ಕಾಮೇನ ಸುಕೃತೇನಾಪಿ ಕರ್ಮಣಾ||

ಏಭ್ಯಃ ಸಂಸಾರಕಾಂತಾರೇ ನ ವಿಶ್ರಾನ್ತಮಭೂನ್ಮನಃ||೭||

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Ashtavakra Gita

Chapter 10

Stanza 7

Enough of prosperity, desire and pious deed. The mind did not find repose in the dreary forest of the world.

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