अष्टावक्र गीता
अध्याय १६
श्लोक ११
हरो यद्युपदेष्टा ते हरिः कमलजोऽपि वा।।
तथापि न तव स्वास्थ्यं सर्वविस्मरणादृते।।११।।
(हरः यदि उपदेष्टा ते हरिः अपि कमलात्मजः। तथापि न तव स्वास्थ्यं सर्व-विस्मरणात् ऋते।।)
अर्थ : यदि स्वयं भगवान् शङ्कर, भगवान् विष्णु या ब्रह्मा ही तुम्हें उपदेश क्यों न दें, तो भी जब तक तुम, सब कुछ (बौद्धिक ज्ञान) पूरी तरह से विस्मृत नहीं कर देते, तब तक अपने स्वयं के नितान्त विशुद्ध और निज आत्म-स्वरूप में कभी स्थित नहीं हो सकोगे।
।।इति षोडषाध्यायः।।
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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ
ಅಧ್ಯಾಯ ೧೬
ಶ್ಲೋಕ ೧೧
ಹರೋ ಯದ್ಯುಪದೇಷ್ಟಾ ತೇ ಹರಿಃ ಕಮಲಜೋಪಿ ವಾ||
ತಥಾಪಿ ನ ತಮ ಸ್ಮಾಸ್ಥ್ಯಂ ಸರ್ಮಮಿಸ್ಮರಣಾದೃತೇ||೧೧||
||ಇತಿ ಷೋಡಷೋಧ್ಯಾಯಃ||
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Ashtavakra Gita
Chapter 16
Stanza 11
Let even the Lord Hara (Shankara), Lord Hari (Vishnu) or the lotus-born Lied BrahmA be your instructor, but unless you forget all, you cannot be established in the Self.
Thus concludes chapter 16 of the text :
Ashtavakra Gita.
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