Saturday, 6 May 2023

हरो यद्युपदेष्टा ते

अष्टावक्र गीता

अध्याय १६

श्लोक ११

हरो यद्युपदेष्टा ते हरिः कमलजोऽपि वा।।

तथापि न तव स्वास्थ्यं सर्वविस्मरणादृते।।११।।

(हरः यदि उपदेष्टा ते हरिः अपि कमलात्मजः। तथापि न तव स्वास्थ्यं सर्व-विस्मरणात् ऋते।।)

अर्थ  : यदि स्वयं भगवान् शङ्कर, भगवान् विष्णु या ब्रह्मा ही तुम्हें उपदेश क्यों न दें, तो भी जब तक तुम, सब कुछ (बौद्धिक ज्ञान) पूरी तरह से विस्मृत नहीं कर देते, तब तक अपने स्वयं के नितान्त विशुद्ध और निज आत्म-स्वरूप में कभी स्थित नहीं हो सकोगे।

।।इति षोडषाध्यायः।।

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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ

ಅಧ್ಯಾಯ  ೧೬

ಶ್ಲೋಕ ೧೧

ಹರೋ ಯದ್ಯುಪದೇಷ್ಟಾ ತೇ ಹರಿಃ ಕಮಲಜೋಪಿ ವಾ||

ತಥಾಪಿ ನ ತಮ ಸ್ಮಾಸ್ಥ್ಯಂ ಸರ್ಮಮಿಸ್ಮರಣಾದೃತೇ||೧೧||

||ಇತಿ ಷೋಡಷೋಧ್ಯಾಯಃ||

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Ashtavakra Gita

Chapter 16

Stanza 11

Let even the Lord Hara (Shankara), Lord Hari (Vishnu) or the lotus-born Lied BrahmA be your instructor, but unless you forget all, you cannot be established in the Self.

Thus concludes chapter 16 of the text :

Ashtavakra Gita. 

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