Thursday, 18 May 2023

सर्वत्र दृश्यते स्वस्थः

अष्टावक्र गीता

अध्याय १७

श्लोक ११

सर्वत्र दृश्यते स्वस्थः सर्वत्र विमलाशयः।।

समस्तवासनामुक्तो मुक्तः सर्वत्र राजते।।११।।

(सर्वत्र दृश्यते स्वस्थः सर्वत्र विमलाशयः। समस्तवासनामुक्तः मुक्तः सर्वत्र राजते।।)

अर्थ : मुक्त पुरुष सर्वत्र ही अपने स्वरूप में स्थित होता है, (वह उस स्थिति से च्युत नहीं होता अतः उसे ही अच्युत कहते हैं।) उसका हृदय सर्वत्र ही शुद्ध, अतः वासना-मात्र से रहित, निर्मल होने से सर्वत्र उसका ही प्रकाश है।

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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ

ಅಧ್ಯಾಯ ೧೭

ಶ್ಲೋಕ ೧೧

ಸರ್ವತ್ರ ದೃಶ್ಯತೇ ಸ್ವಸ್ಥಃ

ಸರ್ವತ್ರ ವಿಮಲಾಶಯಃ||

ಸಮಸ್ತವಾಸನಾಮುಕ್ತೋ

ಮುಕ್ತಃ ಸರ್ವತ್ರ ರಾಜತೇ||೧೧||

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Ashtavakra Gita

Chapter 17

Stanza 11

The liberated person is found everywhere abiding in Self and pure in heart, and he lives everywhere freed from all desires. 

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