Sunday, 21 May 2023

सानुरागांस्त्रियंदृष्ट्वा

अष्टावक्र गीता

अध्याय १७

श्लोक १४

सानुरागांस्त्रियंदृष्ट्वा मृत्युं वा समुपस्थितम्।।

अविह्वलमनाः स्वस्थो मुक्त एव महाशयः।।१४।।

(स-अनुरागान् स्त्रियं दृष्ट्वा मृत्युं वा समुपस्थितम्। अविह्वलमनाः स्वस्थः मुक्तः एव महाशयः।।१४।।)

अर्थ : उसके प्रति अनुराग से पूर्ण कोई स्त्री या फिर मृत्यु स्वयं ही आकर समक्ष क्यों न उपस्थित हुई हो, उसका मन किसी भी प्रकार से विह्वल या भावाभिभूत नहीं होता, मुक्त उदार-हृदय ही कोई ऐसा होता है।

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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ

ಅಧ್ಯಾಯ ೧೭

ಶ್ಲೋಕ ೧೪

ಸಾನುರಾಗಾಂಸ್ತ್ರಿಯಂ ದೃಷ್ಟ್ವಾ

ಮೃತ್ಯುಂ ವಾ ಸಮುಪಸ್ಥಿತಂ||

ಅವಿಹ್ವಲಮನಾಃ ಸ್ವಸ್ಥೋ

ಮುಕ್ತ ಏವ ಮಹಾಶಯಃ||೧೪||

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Ashtavakra Gita

Chapter 17

Stanza 14

The great-souled one is not perturbed and remains self-poised both at the sight of a woman full of love and of approaching death. He is indeed liberated.

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