अष्टावक्र गीता
अध्याय १७
श्लोक १४
सानुरागांस्त्रियंदृष्ट्वा मृत्युं वा समुपस्थितम्।।
अविह्वलमनाः स्वस्थो मुक्त एव महाशयः।।१४।।
(स-अनुरागान् स्त्रियं दृष्ट्वा मृत्युं वा समुपस्थितम्। अविह्वलमनाः स्वस्थः मुक्तः एव महाशयः।।१४।।)
अर्थ : उसके प्रति अनुराग से पूर्ण कोई स्त्री या फिर मृत्यु स्वयं ही आकर समक्ष क्यों न उपस्थित हुई हो, उसका मन किसी भी प्रकार से विह्वल या भावाभिभूत नहीं होता, मुक्त उदार-हृदय ही कोई ऐसा होता है।
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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ
ಅಧ್ಯಾಯ ೧೭
ಶ್ಲೋಕ ೧೪
ಸಾನುರಾಗಾಂಸ್ತ್ರಿಯಂ ದೃಷ್ಟ್ವಾ
ಮೃತ್ಯುಂ ವಾ ಸಮುಪಸ್ಥಿತಂ||
ಅವಿಹ್ವಲಮನಾಃ ಸ್ವಸ್ಥೋ
ಮುಕ್ತ ಏವ ಮಹಾಶಯಃ||೧೪||
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Ashtavakra Gita
Chapter 17
Stanza 14
The great-souled one is not perturbed and remains self-poised both at the sight of a woman full of love and of approaching death. He is indeed liberated.
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