अष्टावक्र गीता
अध्याय ३
श्लोक ७
उद्भूतंज्ञानदुर्मित्रमवधार्याति दुर्बलः।।
आश्चर्यं काममाकांक्षेत् कालमन्तमनुश्रितः।।७।।
(उद्भूतं ज्ञानदुर्मित्रं अवधार्याति दुर्बलः। आश्चर्यं कामं आकाँक्षेत् कालं अन्तं अनुश्रितः।।)
अर्थ : आश्चर्य की बात है कि कामना (आत्म-)ज्ञान की शत्रु है, और अन्तकाल भी समीप है, इसे ठीक से जानने पर भी, फिर भी कोई अत्यन्त वृद्ध, दुर्बल मनुष्य, विषयों के उपभोग करने की आकांक्षा से लालायित रहे ।
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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ
ಅಧ್ಯಾಯ ೩
ಶ್ಲೋಕ ೭
ಉದ್ಭೂತಂ ಜ್ಞಾನದುರ್ಮಿತ್ರ-
ಮವಧಾರ್ಯಾತಿ ದುರ್ಬಲಃ||
ಆಶ್ಚರ್ಯಂ ಕಾಮಮಾಕಾಂಕ್ಷೇತ್
ಕಾಲಮನ್ತಮನಾಶ್ರಿತಃ||೭||
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Ashtavakra Gita
Chapter 3
Stanza 7
It is strange that knowing lust to be enemy of knowledge, one who has grown extremely weak and reached one's last days, should yet be eager for sensual enjoyments.
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