अष्टावक्र गीता
अध्याय २
श्लोक २०
शरीरं स्वर्गनरकौ बन्धमोक्षौ भयं तथा।।
कल्पनामात्र मे वै तत्किं मे कार्यं चिदात्मनः।।२०।।
अर्थ :
शरीर, स्वर्ग और नरक, बन्धन और मोक्ष, तथा भय इत्यादि तो मेरे लिए कल्पनामात्र हैं। अहं-चैतन्य-आत्मा, जो मेरा स्वरूप है, उसका इन सब से क्या प्रयोजन है!
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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ
ಅಧ್ಯಾಯ ೨
ಶ್ಲೋಕ ೨೦
ಶರೀರಂ ಸ್ವರ್ಗನರಕೌ
ಫನ್ಧಮೋಕ್ಷೌ ಬಯಂ ತಥಾ||
ಕಲ್ಪನಾಮಾತ್ರ ಮೇ ವೈ ತ-
ತ್ಕಿಂ ಮೇ ಕಾರೇಕಾರ್ಯಂ ಚಿದಾತ್ಮಮಲಃ||೨೦||
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Ashtavakra Gita
Chapter 2
Stanza 20
Body, heaven and hell, bondage, freedom, as also fear, all these are mere imagination. What have I to do with all these I whose nature is Chit (Consciousness)!
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