Friday, 2 December 2022

शरीरं स्वर्गनरकौ

अष्टावक्र गीता

अध्याय २

श्लोक २०

शरीरं स्वर्गनरकौ बन्धमोक्षौ भयं तथा।।

कल्पनामात्र मे वै तत्किं मे कार्यं चिदात्मनः।।२०।।

अर्थ :

शरीर, स्वर्ग और नरक, बन्धन और मोक्ष, तथा भय इत्यादि तो मेरे लिए कल्पनामात्र हैं। अहं-चैतन्य-आत्मा, जो मेरा स्वरूप है, उसका इन सब से क्या प्रयोजन है!

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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ 

ಅಧ್ಯಾಯ ೨

ಶ್ಲೋಕ ೨೦

ಶರೀರಂ ಸ್ವರ್ಗನರಕೌ

ಫನ್ಧಮೋಕ್ಷೌ ಬಯಂ ತಥಾ||

ಕಲ್ಪನಾಮಾತ್ರ ಮೇ ವೈ ತ-

ತ್ಕಿಂ ಮೇ ಕಾರೇಕಾರ್ಯಂ ಚಿದಾತ್ಮಮಲಃ||೨೦||

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Ashtavakra Gita

Chapter 2

Stanza 20

Body, heaven and hell, bondage, freedom, as also fear, all these are mere imagination. What have I to do with all these I whose nature is Chit (Consciousness)!

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