प्रेम और भक्ति!
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अपने प्रेम को इतना अधिक परिशुद्ध कर लो कि वह भक्ति में रूपान्तरित हो जाए, या फिर स्वयं को ही प्रेम के हाथों में सौंप दो, ताकि वही तुम्हें पूर्ण परिशुद्ध कर भक्ति से परिपूर्ण कर दे!
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सन्दर्भ :
अष्टावक्र गीता अध्याय ३, श्लोक ६,
तथा,
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय ३, श्लोक २०
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LOVE AND DEVOTION.
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Either Purify your Love so as to make it the Purest; - the Devotion,
Or let the Love purify you so as to make you the Purest; - the Devotee!
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This refers to :
Ashtavakra Gita - Chapter 3, Stanza 6, and Shrimadbhagvad-gita - Chapter 3, stanza 20.
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