अष्टावक्र गीता
अध्याय २
श्लोक १९
सशरीरमिदं विश्वं न किञ्चिदिति निश्चितम्।।
शुद्ध चिन्मात्र आत्मा च तत्कस्मिन्कल्पनाऽधुना।।१९।।
अर्थ :
इस पूरे शरीर सहित यह विश्व, शुद्ध चिन्मात्र आत्मा ही है, इससे अन्य कुछ नहीं, केवल कल्पना ही है यह निश्चित हुआ, तो अब यह कल्पना किसे आती है ! चूँकि आत्मा से अन्य कुछ नहीं है, इसलिए इस कल्पित उपाधि को व्यर्थ जानकर त्याग दिया जाना ही उचित है।
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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ
ಅಧ್ಯಾಯ ೨
ಶ್ಲೋಕ ೧೯
ಸಶರೀರಮಿದಂವಿಶ್ವಂ ನ ಕಿಞ್ಚಿದಿತಿ ನಿಶ್ಚಿತಂ||
ಶುದ್ಧಚಿನ್ಮಾಚ್ರ ಆತ್ಮಾ ಚ ತತ್ಕಸ್ಮಿನ್ಕಲ್ಪನಾऽಧುನಾ||೧೯||
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Ashtavakra Gita
Chapter 2
Stanza 19
I have known for certain that the body and the universe are nothing and that the Atman is only pure Intelligence. So, on which now can super-imposition be possible!
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