अष्टावक्र गीता
अध्याय ९
श्लोक ७
पश्य भूतविकारांस्त्वं भूतमात्रान्यथार्थतः।।
तत्क्षणात्बन्धनिर्मुक्तः स्वरूपस्थो भविष्यसि।।७।।
(पश्य भूतविकारान् त्वं भूतमात्रानि यथार्थतः। तत्-क्षणात् बन्ध-निर्मुक्तः स्वरूपस्थः भविष्यसि।।)
अर्थ : इन भूतों के विकारों को तुम भूतमात्र की तरह से ही देखो (न कि घटनाक्रम या परिवर्तनशीलता की तरह) और इस प्रकार से देखते ही तुम उसी क्षण बन्धन से पूर्णतः मुक्त हो अपने नित्य और निज स्वरूप में स्थित हो जाओगे।
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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ
ಅಧ್ಯಾಯ ೯
ಶ್ಲೋಕ ೮
ಪಶ್ಯ ಭೋತವಿಕಾರಾನ್ಸ್ ತ್ವಂ
ಭೋತಮಾತ್ರಾನ್ಯಥಾರಥತಃ||
ತತ್ಕ್ಷಣಾತ್ಬನ್ಧನಿರ್ಮುಕ್ತಃ
ಸ್ವರೋಪಸ್ಥೋ ಭವಿಷ್ಯಸಿ||೭||
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Ashtavakra Gita
Chapter 9
Stanza 7
Look upon the modifications of the elements as nothing in reality, but the primary elements themselves and you will at once be free from bondage and abide in your true self.
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