Saturday, 4 February 2023

यदा नाहं तदा मोक्षो

अष्टावक्र गीता

अध्त्राय ८

श्लोक ४

यदा नाहं तदा मोक्षो यदाहं बन्धनं तदा।।

मत्वेति हेलया किञ्चित् मा गृहाण विमुञ्च मा।।४।।

।।इति अष्टमाध्यायः।। 

(यदा न अहं तदा मोक्षः यदा अहं बन्धनं तदा। मत्वा इति हेलया किञ्चित् मा गृहाण विमुञ्च मा।।)

अर्थ : जब अहं-भावना नहीं होती, तब मोक्ष होता है और अहं-भावना के आते ही बन्धन होता है। इसे सरलतापूर्वक अनायास खेल की तरह जानते हुए न तो किसी विषय के प्रति राग, और न ही किसी विषय से द्वेष करो।

अष्टावक्र गीता का आठवाँ अध्याय पूर्ण हुआ।

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ಯದಾ ನಾಸಂ ತದಾ ಮೋಕ್ಷೋ

ಯದಾಹಂ ಬನ್ಧನಂ ತದಾ||

ಮತ್ವೇತಿ ಹೇಲಯಾ ಕಿಞ್ಚಿದಿತ್

ಮಾ ಗೃಹಾಟಃ ವಿಮೀಞ್ಚ ಮಾ||೪||

||ಇತಿ ಪಞಮಾಧ್ಯಾಯಃ||

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Ashtavakra Gita

Chapter 8

Stanza 4

When there is no 'I' (ego) there is liberation; when there is 'I', there is bondage. (With no extra effort as if it's a play), Considering this, easily refrain from clinging to or rejecting anything.

Thus concludes the chapter 8 of this text :

Ashtavakra Gita.

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