अष्टावक्र गीता
अध्याय ९
श्लोक ९
वासना एव संसार इति सर्वा विमुञ्चताः।।
तत्त्यागो वासनात्यागात् स्थितिरद्य यथा तथा।।९।।
(वासना एव संसारः इति सर्वाः विमुच्यताः। तत् त्यागः वासना-त्यागात् स्थितिः अद्य यथा तथा।।)
अर्थ : वासना ही संसार है इसलिए समस्त वासनाओं को त्याग दिये जाते भी संसार को भी त्याग दिया जाता है। संसार को इस तरह से त्याग कर आज, अभी जैसे भी तुम हो, कहीं भी वैसे ही रहो।
।।इति पञ्चमः अध्यायः।।
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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ
ಅಧ್ಯಾಯ ೯
ಶ್ಲೋಕ ೯
ವಾಸನಾ ಏವ ಸಂಸಾರ
ಇತಿ ಸರ್ವಾ ವಿಮಿಞ್ಚತಾಃ||
ತತ್ತ್ಯಾಗೋ ವಾಸನಾತ್ಯಾಖಾತ್
ಸ್ಥಿತಿರದ್ಯ ಯಥಾತಥಾ||೯||
||ಇತಿ ನವಮಾಧ್ಯಾಯಃ||
Ashtavakra Gita
Chapter 9
Stanza 9
Desire alone is the world. Do you, therefore, renounce all those. The renunciation of that (i. e. the world) follows the renunciation of desire. Now you may live where ever you are.
Thus concludes Chapter 9 of :
Ashtavakra Gita.
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