Thursday, 19 November 2015

धम्मचक्कप्पवत्तने / dhammacakkappavattane

स्वरचित पालि / संस्कृत श्लोक 
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पालि
धम्मचक्कप्पवत्तने अमिताभ निदस्सयति ।
मिग्गा तु सूयन्ति दत्तचित्तेन वचनं भगवतो तस्स ॥
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संस्कृत
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धर्मचक्रप्रवर्तने अमिताभ निदर्शयति ।
मृगाः तु श्रूयन्ति दत्तचित्तेन वचनं भगवतो तस्य ॥
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pāli
dhammacakkappavattane amitābha nidassayati |
miggā tu sūyanti dattacittena vacanaṃ bhagavato tassa ||
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saṃskṛta
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dharmacakrapravartane amitābha nidarśayati |
mṛgāḥ tu śrūyanti dattacittena vacanaṃ bhagavato tasya ||
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धर्मचक्र प्रवर्तन के समय भगवान् बुद्ध (अमिताभ) धर्म-तत्त्व का निदर्शन कर रहे थे, जबकि मृग (सरल-निष्पाप चित्त्त) दत्तचित्त होकर उनके वचन श्रवण कर रहे थे ।
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English :
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At Sarnath / MrigadAva, Lord Buddha was preaching the essence of 'darma' while the deer (innocent in heart and mind) were listening to the same.
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