Tuesday, 25 October 2022

यदि देहं पृथक्कृत्य

अष्टावक्र गीता,

अध्याय १,

श्लोक ३

यदि देहं पृथक्कृत्य चिति विश्राम्य तिष्ठसि।।

अधुनैव सुखी शांतो बन्धमुक्तो भविष्यसि।।३।।

अर्थ --

यदि देह को (जड की तरह और स्वयं को चेतन की तरह अपने से) पृथक् कर चेतना / चित् में विश्राम करते हुए अवस्थित रहो, तो अभी ही सुखी, शान्त और बन्धन से मुक्त हो जाओगे।

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ಅಷ್ಟಾವಕ್ರ ಗೀತಾ

ಅಧ್ಯಾಯ ೧

ಯದಿ ದೇಹಂ ಪೃಥಕ್ಕೃ ತ್ಯ ಚಿತಿ ವಿಶ್ರಾಮ್ಯ ತಿಷ್ಠಸಿ |

ಅಧುನೈವ ಸುಖೀ ಶಾಂತೋ ಬಂಧಮುಕ್ತೇ ಭವಿಷ್ಯಸಿ||೩||

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Ashtavakra Gita,

Chapter 1,

Stanza 3.

3. If you detach the body and rest in Intelligence, you will at once be happy, peaceful and free from bondage.

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