राहु
Someone has asked :
राहु के क्या इम्पैक्ट होते हैं?
So I'm prompted to write this post.
भगवान् आदि शंकराचार्य के द्वारा रचित :
श्रीदक्षिणामूर्तिस्तोत्रम् के निम्न श्लोक के अनुसार :
राहुग्रस्तदिवाकरेन्दुसदृशो मायासमाच्छादितः
व्यावृत्त्यानुवर्तमानमिति अन्तःस्फुरन्तं सदा।
यः साक्षात्करणात् भवेन्न पुनरावृत्तिः भवाम्भोनिधौ
तस्मिन्श्रीगुरुमूर्तये नम इदं श्री दक्षिणामूर्तये।।
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जैसे माया के प्रभाव से सूर्य और चन्द्र आदि ग्रह राहु के द्वारा ग्रसित जान पड़ते हैं (जबकि वस्तुतः यह केवल दृष्टि के भ्रम से ही होता है और पृथ्वी के सूर्य और चन्द्र के मध्य आ जाने के परिणाम से चन्द्रग्रहण तथा चन्द्र के सूर्य और पृथ्वी के मध्य आ जाने से सूर्य-ग्रहण के रूप में यह भ्रम पैदा होता है) उसी प्रकार मनुष्य की अन्तरात्मा में अवस्थित परमात्मा (सूर्य) और देह (पृथ्वी) तथा मन (चन्द्र) के बीच सतत उत्पन्न होनेवाली असंख्य वृत्तियों के परिणामस्वरूप और मन के उनसे आच्छादित हो जाने से अपनी वास्तविक आत्मा के स्वरूप के अज्ञानरूपी भ्रम के रूप में मनुष्य में घटित होता है।
संस्कृत धातु √ रह् - जिसे कि 'रहने', 'रहस्य' के अर्थ में प्रयुक्त किया जाता है, से बनी "राहु" संज्ञा छाया, अज्ञान, प्रमाद की द्योतक है।
गीता में इस धातु का प्रयोग 'रहसि स्थितः' के रूप में है कि योग साधना अत्यन्त एकान्त स्थान में रहते हुए ही जाती है।
इसी संस्कृत धातु / पद 'रहिं' का अरबी सजात सज्ञात अर्थात् cognate रूप है रहिम या रहीम / رحیم.
जिसे परमात्मा के अर्थ में प्रयुक्त किया जाता है, जो अत्यन्त गूढ है और गीता के अनुसार प्राणिमात्र के हृदय में ही वास करता है।
ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽर्जुन तिष्ठति।
भ्रामयन्सर्वभूतानि यन्त्रारूढानि मायया।।६१।।
अध्याय १८
किस रूप में?
"भूतानामस्मि चेतना"
इसलिए नवग्रहों के रूप में सर्वत्र व्याप्त ईश्वर की पूजा आदि के लिए उन्हें शिवलिङ्ग के स्वरूप में स्थापित कर उपासना की जाती है।
संभवतः
ॐ रं राहवे नमः
इस मंत्र का १८००० जप करने से राहु के प्रभाव से उत्पन्न होनेवाली बाबाओं का शमन किया जाता है।
इसीलिए राहु ग्रह की विंशोत्तरी महादशा १८ वर्ष कही गई है।
यह हुआ राहु माहात्म्यम्।।
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