विचार और स्वतन्त्रता
मनुष्य की स्वतन्त्रता के बारे में कोई जब तर्क-वितर्क करता है, तो मेरे मन में यह प्रश्न उठता है :
हो सकता है कि मनुष्य अपने जीवन के बारे में जो वह चाहे, करने के लिए स्वतंत्र हो, लेकिन कुछ भी चाहने / न चाहने के लिए भी क्या वह वैसे ही स्वतन्त्र होता है?
विचार हमेशा अभिव्यक्ति या प्रतिक्रिया होता है । विचार, क्या सदैव स्मृति से बँधा नहीं होता? जो बँधा है, वह स्वतंत्र कैसे हो सकता है? क्या जीवन / तथ्यरूपी अस्तित्व, विचार और इच्छा से स्वतंत्र नहीं ?
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