भाव और भाव-व्याधि
भव से भाव का जन्म होता है,
और भाव से भावना का जन्म होता है।
भावना से ध्वनि का जन्म होता है,
ध्वनि से भाषा और शब्द (word) का जन्म होता है।
भाषा से अर्थ (sense) का जन्म होता है।
अर्थ से विचार (Thought) का जन्म होता है।
विचार से अर्थ और अर्थ से विचार के साहचर्य से कल्पना का जन्म होता है।
विपर्यय और विकल्प किसका?
प्रमाण-वृत्ति का।
विपर्यय से भ्रम का जन्म होता है,
जबकि विकल्प से विक्षेप का।
प्रमाणविकल्पविपर्ययनिद्रास्मृतयः।।६।।
इन्हें ही चित्त की वृत्ति कहा जाता है।
प्रत्यक्षप्रमाणागमाः प्रमाणानि।।७।।
विपर्ययो मिथ्याज्ञानमतद्रूपप्रतिष्ठम्।।८।।
शब्दज्ञानानुपाती वस्तुशून्यो विकल्पः।।९।।
अभाव-प्रत्यययालम्बना वृत्तिः निद्रा।।१०।।
अनुभूतविषयासम्प्रमोषः वृत्तिः स्मृतिः।।११।।
योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः।।२।।
तदा द्रष्टुः स्वरूपेऽवस्थानम्।।३।।
वृत्तिसारूप्यमितरत्र।।४।।
वृत्तयः पञ्चतय्यः क्लिष्टाक्लिष्टाः।।५।।
अभ्यासवैराग्याभ्यां तन्निरोधः।।६।।
...
ध्यानहेयास्तद्वृत्तयः।।
देशबन्धचित्तस्य धारणा।।१।।
तत्र प्रत्ययैकतानता ध्यानम्।।२।।
तदेवार्थमात्रनिर्भासं स्वरूपशून्यमिव समाधिः।।३।।
त्रयमेकत्रः संयमः।।४।।
तज्जयात्प्रज्ञालोकः।।
प्रज्ञानं ब्रह्म।।
किमिति तद् ब्रह्य?
जडं, चेतनः, जीव-ईशौ, सर्वमिति।।
जडं वेदनीयं परेण।
चेतनः - वेदनीयः स्वेन स्वया आत्मना आत्मना च आत्मन्यपि।।
ईशः - ईश्वरः
सर्वम् खलु इदं ब्रह्म।।
सर्वभूतेषु येनैकं
भावमव्ययमीक्षते।
अविभक्तं विभक्तेषु
तज्ज्ञानं विद्धि सात्विकम्।।२०।।
(गीता, अध्याय १८)
या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी।
यस्यां जाग्रति भूतानि सा निशा पश्यतो मुनेः।।६९।।
आपूर्यमाणमचलप्रतिष्ठं समुद्रमापः
प्रविशन्ति यद्वत्।
तद्वत्कामा यं प्रविशन्ति सर्वे
स शान्तिमाप्नोति न कामकामी।।७०।।
विहाय कामान्यः सर्वान् पुमांश्चरति निःस्पृहः।
निर्ममो निरहङ्कारः स शान्तिमधिगच्छति।।७१।।
एषा ब्राह्मी स्थितिः पार्थ नैनां प्राप्य विमुह्यति।
स्थित्वास्यामन्तकालेऽपि ब्रह्मनिर्वाणमृच्छति।।७२।।
यह है सांख्यज्ञान।
--निरंतरम्--
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