वृत्ति और प्रत्यय
योग क्या है?
पातञ्जल योगदर्शन का प्रथम सूत्र है -
अथ योगानुशासनम्।।१।।
जिसमें योग क्या है, और जीवन में इसका प्रयोग करने की प्रणाली के विषय में शिक्षा दी जाती है।
फिर कहा जाता है -
योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः।।२।।
अर्थात् योग की भूमिका क्या है इसका प्रारंभिक उल्लेख उपरोक्त सूत्र में किया जाता है।
किन्तु "वृत्ति" / "प्रत्यय" क्या है इसे स्पष्ट करने के लिए कह सकते हैं कि -
वर्तते विधीयते वा प्रतीयते इति वृत्तिर्वाप्रत्ययः।।
वह, जो विद्यमान है, वर्तता या वर्तमान है, जिसे किसी प्रारूप में मन में ग्रहण / धारण किया जाता है अथवा जिसका प्रतीति / आभास होता है उसे "प्रत्यय" कहते हैं। वह, जो विद्यमान है उसे "सत्" कहा जाता है और वह पुनः किसी "चेतन" के अन्तर्गत "जाना" जाता है। जिसे "जाना" जाता है वह "ज्ञेय" और "जाननेवाले" तत्व को "ज्ञाता" कहा जाता है। और जिस आभास या प्रतीति के माध्यम से "जानने" का कार्य संपन्न होता है, उसे ही "वृत्ति" या "प्रत्यय" कहा जाता है।
"जानने" को "ज्ञान", और जिस "चेतन" के अन्तर्गत "जानना" घटित होता है उस "चेतन" को "चेतस्" या "चेतना" कहा जाता है।
"चेतना" में जिसे जाना जाता है उसकी अभिव्यक्ति भी "अहं" और "इदं" इन दो प्रकारों में होती है। इन दोनों प्रकारों में से प्रथम अर्थात् "अहं" का आभास / प्रतीति नित्य और स्वप्रमाणित है, जबकि "इदं" का आभास या प्रतीति अनित्य है।
इस प्रकार से, "ज्ञान" सदैव ही,
"अहं-प्रत्यय " और "इदं-प्रत्यय"
इन दोनों रूपों में होता है। अहं-प्रत्यय को अहं-वृत्ति और इदं प्रत्यय को इदं-वृत्ति भी कहना अनुचित न होगा। इनमें से अहं-वृत्ति आधारभूत सत्य है, जबकि इदं-वृत्ति अहं-वृत्ति पर आश्रित गौण वस्तु है। इस विषय में और सूक्ष्मता से समझने के लिए
विवेकचूडामणि
के निम्न श्लोक का संदर्भ यथोचित और पर्याप्त होगा :
अस्ति कश्चित् स्वयं नित्यं अहं-प्रत्ययलम्बनः।।
अवस्थात्रय साक्षी सन् पञ्चकोषविलक्षणः।।१२५।।
***
Glossary :
Sentience / Mind - चेतस् / चेत / चेतना
Perception - ग्रहण / संवेदन
Consciousness - चेतना
Conscious - चेतन
Senses - ज्ञानेन्द्रियाँ
Sensory Perception - इन्द्रियगम्य संवेदन
Known - ज्ञात
Knowledge - ज्ञान, जानना
Knower ज्ञाता, जाननेवाला
Knowing - अपरोक्षतः या परोक्षतः जानना
Ego - The I am अहं-प्रत्यय / अहं-वृत्ति I-Sense - अवगत अवगम्य
Id - It / That - इदं / एतत् / तत्
***
No comments:
Post a Comment