Wednesday, 11 December 2024

The Elemental Science.

Universal Elemental Science

सार्वत्रिक भूतविद्या

भारद्वाज उवाच :

प्रभो ब्रूहि मे तत्तत्त्वं यज्ज्ञात्वा सर्वं विजानाति।।

सिद्धान्तशिरोमणिः यत्त्रिलोकेऽपि त्र्यवस्थायाम्।।१।।

वाल्मीकि उवाच :

भूतविद्यां शृणु वत्स यज्ज्ञात्वा सर्वं विजानाति।।

आधिभौतिकाधिदैविकाध्यात्मिकं यद्वर्तते।।२।।

दृश्यं सर्वमिदं यच्चराचरजडचेतनम्।।

दृष्टां तु चेतनं विद्धि भूतसंघातप्रकृतिम्।।३।।

दृष्टृदृश्यतया यत्र जगत् यत्सर्वमिदं ततम्।।

दृश्यं जडात्मकंसर्वमाधिभौतिकमुच्यते।।४।।

दृष्टा तु चित्तात्मकंसर्वमाधिदैविकमुच्यते।।

द्वयोर्विलक्षणं यत्तत्वं तद्दृगिति उदीर्यते।।५।।

अस्ति कश्चित् स्वयं नित्यं अहं-प्रत्ययलम्बनः।।

अवस्थात्रयसाक्षी सन् पञ्चकोषविलक्षणः।।६।

विराटः प्राज्ञः हिरण्यगर्भः यस्य नामानि अपरानि।।

जागृतस्वप्नसषुप्तिभ्यां य एषः तत्वं तत्त्वमेव तत्।।७।।

पञ्चमहाभूताभ्यां यज्जगति सर्वत्र दृश्यते।।

स्थूलभूतेन्द्रियाभ्यां देशकालबद्धो च यत्।।८।।

भवसंभवपरिभवानुभवः प्रभवोभावकल्पितम्।।

द्रव्यमानसंहतिमाने शक्तिमेधापराक्रमवान्।।९।।

गुणधर्मानुरूपे यद्व्यक्तो अव्यक्तो सहैव।।

अपि सर्वान्पराक्रम्य यो प्रतितिष्ठति परम्।।१०।।

गुणधर्मेषु तस्यैव अभिव्यक्तिः सर्वत्रैव दृश्यते।।

एको हि षड्रूपिणे भावे बलं तस्य अनुभूयते।।११।।

यथा गुरुत्वाकर्षणं पृथिव्यां प्राणापानं बलम्।।

तप्तपिण्डौ तापोष्मा निम्नोच्चौविभवात्मिका।।१२।।

यथाऽऽलोकं तमसि लोके ज्योतिरूपेण संचरति।। 

नादध्वन्यध्वने मध्ये अभावात्मके प्रसरति तथा।।१३।।

चुम्बकीयबलरेखाभ्यां उत्तरदक्षिणाभ्यां च।।

सार्वत्रिकंविद्युदावेशा धारा विभवान्तरे।।१४।।

एते हि षड्रूपास्ते विचरन्ति आधिभौतिके।।

भौतिकीविद्विद्वज्जनाः तेषु न रमते विबुधः।।१५।।

सर्वं सर्वसाक्षी तदविकार्याध्यात्मिकम्।। 

यज्ज्ञात्वा सर्वं विजानाति येन सर्वमिदं ततम्।।१६।।

जागृत्याञ्चस्वप्नेऽपि सुषुप्त्यामपि समाधौ च।।

ज्ञाता ज्ञेयमपि ज्ञानं च तदध्यात्ममुच्यते।।१७।।

एतेभिः सप्तदशश्लोकाभिः सार्वत्रिकं तद्विद्धि।।

यज्ज्ञात्वा सर्वं विजानन्ति येन सर्वे विशारदाः।।१८।।

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इति विनायक भारद्वाजेन विरचितं सार्वत्रिकं सम्पूर्णम्।।

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बचपन से सोचता रहा हूँ कि वह कौन सा सिद्धान्त है जिसे कि भौतिक-शास्त्र की सभी शाखाओं में समानुरूप से प्रयुक्त किया जा सकता है। आज सुबह उक्त सिद्धान्त मन में स्फुरित हुआ और जैसा स्फुरित हुआ वैसा ही लिपिबद्ध भी कर लिया।

हो सकता है इसमें छन्दशास्त्रीय, व्याकरणगत, साहित्यिकीय या अन्य कोई त्रुटियाँ दिखलाई दें किन्तु यह ऋषिप्रोक्त है इसलिए इसे सुधारने की चेष्टा नहीं कर सकता हूँ। 

भौतिक शास्त्र की छः प्रमुख शाखाओं पर यह कैसे लागू होता है इसे यूँ समझा जा सकता है -

Properties of Matter :

द्रव्य / पदार्थ के गुणधर्म 

गुरुत्वाकर्षण जब किसी छोटे पिण्ड को अपनी ओर आकर्षित करता है -

F = m.M/d.d

(Law of Gravitation) 

Heat :

ताप (ऊष्मा) अधिक गर्म स्थान से कम गर्म स्थान की ओर बहती है।

Light :

प्रकाश अन्धकार की दिशा में गतिशील होता है।

Magnetism :

चुम्बकीय बल रेखाएँ उत्तर ध्रुव से दक्षिण ध्रुव की दिशा की ओर जाती हैं। 

Sound :

ध्वनि तरंगें उच्च-ध्वनि-क्षेत्र से निम्न-ध्वनि-क्षेत्र की ओर जाती हैं।  

Electricity :

विद्युत के प्रवाह की दिशा उच्च विभव बिन्दु से निम्न विभव बिन्दु की दिशा में होता है।

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