Sunday, 24 November 2024

SanAtana-DRShTi.

सनातन-दृष्टि / sanAtana-dRShTi.

A Vision-Document.

संसार में लौकिक और संकीर्ण दृष्टि से धन की तीन ही गतियाँ हैं -

दान, भोग और नाश। 

सभी कुछ नाशवान है।

किन्तु सनातन दृष्टि से अर्थात् वैदिक दृष्टि से धन पर्यायतः लक्ष्मी, पृथ्वी, सुख, उल्लास और शान्ति,  है, जिसकी छः सनातन, चिरन्तन गतियाँ हैं -

ये छः गतियाँ हैं -

दान, उपभोग, नाश, निवेश, विकास या विस्तार, एवं सृजन।

यह एक सनातन, सतत और अनादि, अन्तहीन प्रक्रिया है।

सांसारिक, लौकिक दृष्टि से यह संसार अजर-अमर है किन्तु आधिदैविक और आध्यात्मिक दृष्टि से यह नित्य और अजर-अमर है।

अनन्त ऐश्वर्य। जैसे सुन्दर, सुन्दरता और सौन्दर्य एक ही वस्तु हैं वैसे ही ईशिता, ईश्वर और ऐश्वर्य एक ही वस्तु हैं। और सभी वही एकमेव अद्वितीय दिव्य सत्ता हैं जो चेतना का एक महासागर है, जिसमें कि व्यक्तिरूपी अनादि और अन्तरहित असंख्य तरंगें अनवरत उठती और विलीन होती रहती हैं। 

व्यक्ति की दृष्टि से भी, व्यक्ति और उसका संसार, जिसमें असंख्य व्यक्ति और उनमें से प्रत्येक के ही असंख्य संसार होते हैं, ऐसा ही नित्य आत्मतत्व है।

व्यक्ति और व्यक्तियों के मध्य एक काल्पनिक सत्ता उभरती और मिटती रहती है जिसे "समाज" और "संसार" कहा और समझा जाता है। यह सत्ता न तो नित्य है, न ही अनित्य है बल्कि क्षण क्षण आभास के रूप में व्यक्त और अव्यक्त होती रहती है। अतः आत्मा या ईश्वर की तुलना में यह "मिथ्या" ही है। सद्-असद्-विलक्षण।

यह स्वयं इसका प्रमाण न तो है और न ही हो सकती है। यह "विपर्यय" है -

विपर्ययो मिथ्याज्ञानमतद्रूपप्रतिष्ठम्।। 

(समाधिपाद)

यह "विकल्प" है -

शब्दज्ञानानुपाती वस्तुशून्यो विकल्पः।।

(समाधिपाद)

विपर्यय है - hypothesis

विकल्प है - कल्पना  / Imagination.

अतः पारमार्थिक दृष्टि से यह सब अनिर्वचनीय है।

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शब्दावली - Glossary

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धन - Wealth.

दान - Donate.

उपभोग -Consume.

नाश - Exhaust.

निवेश - Investment,

विकास और विस्तार - Divestment,

सृजन - Create/ Creation.

ईशिता - Governance.

ईश्वर - Affluence.

ऐश्वर्य - Prosperity.

संसार - World,

लौकिक - Worldly, Mundane.

चाणक्य का अर्थशास्त्र -

The Economy of Chinakya. 

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