Wednesday, 8 June 2022

चित् और चित्त

प्रमाद और अनवधानता 

(Ignorance and In-attention)

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चित्तं चिद्विजानीयात् त-कार रहितं यदा।।

त-कार विषयाध्यासो, प्रमादो मृत्युस्तथा।।

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चित्त को चित् ही जानो, जब वह त-कार से रहित होता है। और यह विषयाध्यास ही त-कार, अर्थात् वह अनवधानता है, जो कि वस्तुतः मृत्युतुल्य है। 

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