Monday, 20 October 2025

THE TILT.

अष्टमांश / आठ पहर का गणित

रात्रि का अंतिम प्रहर अर्थात् मध्यरात्रि के 12:00 से अगले दिन की सुबह 03:00 तक समय। अभी 02:09 a.m.  का समय है। दिन और रात्रि के चौबीस घंटों को कुल आठ भागों में विभाजित करने पर जो समय प्राप्त होता है, उसे एक प्रहर कहते हैं। सूर्य की दैनिक गति के आधार पर निर्धारित एक समयावधि है। सूर्य की दैनिक गति के अनुसार पृथ्वी के सूर्य के चतुर्दिक् अपनी कक्षा में एक पूर्ण परिभ्रमण करने के समय को एक सौर वर्ष कहा जाता है। पृथ्वी की दूसरी अयन गति उसके अपने अक्ष पर झुके होने के कारण उत्तरायण और दक्षिणायन के रूप में होती है। पृथ्वी के इस प्रकार से अपने अक्ष पर घूमने से पृथ्वी के किसी स्थान पर सूर्योदय और सूर्यास्त होते हुए दिखलाई देते हैं। इस प्रकार सूर्यास्त से सूर्यास्त तक का समय जो दैनिक आधार पर वैसे तो चौबीस घंटे की अवधि का होता है, किन्तु व्यावहारिक गणना दृष्टि से दिन और रात्रि की अवधि शीत ऋतु और ग्रीष्म ऋतु में भिन्न भिन्न होती है, और सूर्य के उत्तर अयन और दक्षिण अयन के बीच अधिकतम कोणीय अंतर 47 अंश होता है जिसका आधा भाग सार्द्ध / साढ़े 23 अंश, पृथ्वी जिस कोण पर अपने उत्तर-दक्षिण अक्ष पर झुकी होती है। यह ठीक वैसा ही है जैसा कि यांत्रिक घड़ी में बैलेंस व्हील से संबद्ध लीवर होता है, जिसे फिर और समायोजित किया जा सकता है। शायद इस घड़ी का आविष्कार करनेवाले को इसका आभास रहा होगा या वह इसी से प्रेरित हुआ हो! गुरु गोरक्षनाथ जी ने इसी आधार पर एक प्रहर की तीन घंटे की अवधि को पुनः आधा कर डेढ़ घंटे के समय का एक चौघड़िया और दिन के आठ तथा इसी तरह से रात्रि को भी आठ चौघड़िया में विभाजित किया होगा। रोचक तथ्य यह है कि सात दिनों को आधार मानकर आठ चौघड़िया :

उद्वेग चर लाभ अमृत काल शुभ और रोग 

निर्धारित किए गए जो कि प्रति बारह घंटों में एक चक्र में घूमते हैं। प्रत्येक दिन का और रात्रि का भी प्रथम और अंतिम चौघड़िया समान होता है। उदाहरण के लिए :

उद्वेग, चर, लाभ, अमृत, काल, शुभ, रोग और पुनः उद्वेग प्रति रविवार के दिन के प्रथम और अन्तिम चौघड़िया होते हैं। इसी प्रकार :

शुभ अमृत चर रोग काल लाभ उद्वेग और पुनः शुभ प्रति रविवार के रात्रि के चौघड़िया होते हैं।

इस तरह से किसी शुभ या अशुभ कार्य को करने के लिए किसी भी दिन या रात्रि का उचित चौघड़िया को समझा जा सकता है। और यह अनुमान भी किया जा सकता है कि कौन से चौघड़िया में होने या किए जानेवाले कार्य के परिणाम में क्या फल प्राप्त होता है। 

एक घटिका / घड़ी की अवधि २४ मिनट, और दो घड़ी का समय मुहूर्त कहा जाता है। इस प्रकार एक मुहूर्त की अवधि ४८ मिनट की होती है।

इस आधार पर विश्व के किसी स्थान पर हो रही किसी घटना के दूरगामी परिणामों का भी अनुमान लगाया जा सकता है।

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