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कौतूहलवश
श्रीमद्भागवद्महापुराण द्वादश स्कंध श्लोक 18 एवं 24 का अवलोकन किया!
श्लोक 18 कुछ इस प्रकार से है :
यदा चन्द्रश्च सूर्यश्च यदा तिष्य बृहस्पति।
उपरोक्त श्लोक में वैदिक "लॉक" है।
उस "लॉक" को खोला तो पता चला कि "तिष्य" शब्द "भविष्यति" / "भावी" के वर्तमान रूप का सूचक है। तात्पर्य यह कि ज्योतिषीय गणना के अनुसार जब सूर्य, चन्द्र और बृहस्पति एक ही राशि पर होंगे, उस समय कलियुग समाप्त हो चुका होगा, किन्तु वह राशि ठीक ठीक कौन सी और वर्ष भी ठीक ठीक कौन सा है, इसे जानने हेतु कुछ और जानकारी प्राप्त की जाना वाँछित है, क्योंकि लगभग प्रतिवर्ष ही ऐसा कोई समय अवश्य ही उपस्थित होता है। अतिरिक्त जानकारी संभवतः इसी अध्याय में प्राप्त हो सकती है।
पुनः इसी अध्याय के 24 वें श्लोक में दी गई जानकारी के अनुसार कल्कि के अवतार (संभवतः) वही व्यक्ति हैं, जिनका नाम पंडित श्री काशीनाथ मिश्र है।
यह सब मेरा अनुमान मात्र है, किन्तु मैं नहीं कह सकता कि मेरा अनुमान कितना सत्य या असत्य है। संभवतः यह सब कपोल कल्पना ही हो। वैसे अन्य संकेतों और समय के लक्षणों से यह प्रतीत होता है कि यह जानकारी अवश्य ही सत्य है।
इस आधार पर कहा जा सकता है कि इस समय वर्तमान में कलियुग समाप्त हो चुका है। यद्यपि इस बारे में पता नहीं कि कल्कि अवतार कौन है?
इस बारे में मेरा कोई आग्रह या दावा नहीं है।
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