श्रीनगर से कन्याकुमारी
राजमार्ग पर,
नर्मदा किनारे सातधारा नामक ग्राम राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर स्थित है। यहाँ से 14 किलोमीटर की दूरी पर करेली नामक स्थान है, जो मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले में है। करेली और नरसिंहपुर दोनों तक राष्ट्रीय राजमार्ग और रेल से भी जाया जा सकता है।
सुबह 06:00 बजे सातधारा ग्राम से चला था।
आज कुछ नया खोजना था। मेरा अनुमान था कि इस राजमार्ग पर कहीं से रास्ता नर्मदा सातधारा की तरफ मुड़ता है, जहाँ से बरमान घाट की ओर जाने के लिए एक पुल है, जबकि मुख्य मार्ग NH-44 आगे झाँसी की तरफ निकल जाता है।
जहाँ सातधारा ग्राम है, उसे बरमान कलान भी कहते हैं। NH-44 पर झाँसी (387 किलोमीटर) की दिशा में आगे जाने पर पुनः एक प्रशस्त पुल रास्ते पर है।
आज वहाँ तक पैदल जाने का प्रयास किया। दोनों ही रास्तों से बरमान घाट तक जाया जा सकता है। अद्भुत् शान्तिपूर्ण स्थान जहाँ पर चिड़ियों और छोटे बड़े जंगली पक्षियों के झुण्ड कलरव करते रहते हैं। मनुष्य तो यहाँ बहुत कम दिखलाई पड़ते हैं। परसों, कल और आज भी यहाँ उन सेवन सिस्टर्स के दर्शन हुए, जिन्हें पिछली बार पुराने जंगल हाउस में राघवी से शक्करखेड़ी के रास्ते पर रहते समय प्रायः देखा करता था। वे अचानक प्रकट हो जाती हैं और समवेत स्वरों में "दिव्य दिव्य दिव्य दिव्य" का उद्घोष करती जान पड़ती हैं। अंग्रेजी भाषा में उन्हें warblers कहा जाता है। सबसे पहले उन्हें वाराणसी में राजघाट पर स्थित कृष्णमूर्ति फॉउन्डेशन में 2002 में देखा था।
कुकू-हॉक भी दिखाई दिया। यह पक्षी भी पूरे भारतवर्ष में दिखाई देता है। और वह शरमीला फाख्ता भी जो कि प्रायः जोड़े में रहता है।
लेकिन सबसे आश्चर्यजनक दर्शन तो घोंघे के हुए जिन्हें पहले कभी चम्पा के पेड़ों पर भी बहुतायत से देखा था।
यहाँ सातधारा में वे इतनी बड़ी आकृति में दिखाई देते हैं।
ये महाशय तो नर्मदा रोड पर बेख़ौफ चले जा रहे थे जहाँ लगातार ट्रक और दूसरी गाड़ियाँ आ-जा रही थीं। एक लकड़ी से उन्हें रास्ते से हटाकर कच्ची जमीन पर रख दिया। सद्दर्शनम् का श्लोक 13 एक शॉर्ट वीडियो के रूप में मेरे YouTube पर अपलोड किया :
बोद्धारमात्मानमजानतो यो,
बोधः स किं स्यात् परमार्थबोधः।।
बोधस्य बोध्यस्य च संश्रयं स्वं
विजानतस्तद्-द्वितयं विनश्येत्।।
सातधारा से धर्मपुरी तक पैदल जाकर बड़े पुल से जरा पहले सातधारा तक अब लौट आया हूँ। भोजन आ गया है, भूख भी लग रही है।
नर्मदे हर!!
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