।।पुत्रोऽहं पृथिव्याः।।
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संभवतः इसी ब्लॉग में मैंने विक्रम और प्रज्ञान की कथा लिखी है। किस प्रकार चन्द्रयान -2 चन्द्रमा की कक्षा में पहुँचा और उसने विक्रम को चन्द्रमा की सतह पर उतार दिया। किन्तु चन्द्रमा की सतह को छूने के लिए उतावले विक्रम का संतुलन बिगड़ने से वह वहीं लुढ़क गया था। धरती युगों युगों से उसके बेटे चन्द्रमा का हृदय टटोलने के लिए उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रही थी। वेद जानते हैं कि धरती स्मृति है जो पदार्थ है। चन्द्रमा मन है जो पृथ्वी से उत्पन्न हुआ है। मन भी तो स्मृति की ही संतान है! पुरुष-सूक्त के अनुसार भी मन का जन्म चन्द्रमा से हुआ है। विलोम न्याय (conversely) से चन्द्रमा का जन्म मन से हुआ है, इस दृष्टि से और पुरुषस्यापरिणामित्वात् के अनुसार भी "चन्द्रमा मनसो जातः" से दोनों ही अर्थ ग्रहण किए जा सकते हैं। सूक्ष्म और स्थूल दोनों ही एक ही कारण के दो रूप हैं और उन दोनों में से कौन किससे हुआ यह प्रश्न ही असंगत है। इस दृष्टि और अर्थ में सूक्ष्म, स्थूल तथा कारण पर्यायवाची शब्द हैं।
वेद के अनुसार चन्द्रमा और मंगल दोनों पृथ्वी की संतानें हैं। स्थूल चन्द्रमा पृथ्वी तत्व है तो सूक्ष्म चन्द्रमा पृथ्वी का अन्तर्मन है। जो पृथ्वी पर जीवन है, वही चन्द्रमा के रूप में सोम, रस, और सोमरस है। सूर्य प्राण और चन्द्रमा रयि है। मंगल भूमि से उत्पन्न होने से भौम कहलाता है। इससे भी विलोम-न्याय से देखें तो मंगल पर जीवन होने की संभावना बहुत अधिक है।
वेद कारण-ब्रह्म, पुराण सूक्ष्म ब्रह्म, और स्मृतियाँ ही स्थूल अर्थात् कार्य-ब्रह्म या प्रत्यक्ष-ब्रह्म हैं। चन्द्रमा ही मन और मन ही चन्द्रमा है।
विक्रम पराक्रम या मंगल / भौम है। प्रज्ञान या विज्ञान आज के युग का साइन्स, तकनीक, सूचना प्रौद्योगिकी है। प्रज्ञानं ब्रह्म से भी इसकी पुष्टि होती है।
इसरो / ईश्वर / ईश्वरो (वर्च्युअल ईश्वर) ने यदि चन्द्रयान के लैंडर और रोवर को विक्रम और प्रज्ञान नाम प्रदान किए हैं तो क्या यह अनुमान गलत होगा कि यह पूरा ही अभियान किसी ईश्वर (ब्रह्मा?) द्वारा पहले से सुनिश्चित विधान के अनुसार ही हो रहा होगा!
क्या यह कल्पना करना कठिन है कि अवश्य ही धरती के हृदय में पल रही अभिलाषा ही और अपने पुत्र के प्रति वात्सल्यपूर्ण पुत्र-प्रेम ही रहा होगा जिसकी अभिव्यक्ति चन्द्रमा को दुलारने के लिए मनुष्य के मन में इस रूप में हुई होगी!
और क्या चन्द्रमा ने भी इसका प्रत्युत्तर नहीं दिया, जिसे प्रज्ञान ने भूकम्प तरंगों के रूप में पहचानते हुए अंकित भी कर इसरो के वैज्ञानिकों तक प्रेषित भी कर दिया!
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