Sunday, 30 November 2025

THE CHAIN.

भव-व्याधि

--

जीवन शरीर को जन्म देता है,

शरीर चेतना को। 

चेतना अनुभव को जन्म देती है,

अनुभव अज्ञान को। 

अज्ञान अनुभवकर्ता को जन्म देता है, 

अनुभवकर्ता स्मृति को। 

स्मृति सातत्य को जन्म देती है, 

सातत्य समय को।

समय अतीत को जन्म देता है, 

अतीत भविष्य को। 

भविष्य लोभ को जन्म देता है, 

लोभ भय को। 

भय हिंसा को जन्म देता है,

हिंसा क्रोध को,

क्रोध ग्लानि को जन्म देता है, 

ग्लानि अवसाद को।

अवसाद विक्षेप को जन्म देता है, 

विक्षेप उन्माद को। 

उन्माद अंत है,

जो मृत्यु तक ले जाता है।

***

No comments:

Post a Comment