श्रीसीताश्रीरामश्रीलक्ष्मण
व्यक्ति, मन, शरीर / जगत्, आत्मा, परमात्मा
व्यक्ति / शरीर के परिप्रेक्ष्य में सीता, राम और लक्ष्मण तीनों एक दूसरे से तीन भिन्न भिन्न तत्त्व / सत्ताएँ हैं।
मन / पुरुष / के परिप्रेक्ष्य में सीता, राम और लक्ष्मण तीनों एक ही विश्व / ईश्वर / मनु / शतरूपा प्रकृति हैं।
शरीर के परिप्रेक्ष्य में तीनों एक ही जगत् हैं।
आत्मा के परिप्रेक्ष्य में तीनों एक ही अहं या अहंकार या द्वैत / आत्मा हैं।
परमात्मा के परिप्रेक्ष्य में तीनों परम, एकमेव, अद्वितीय और अद्वैत सत्य हैं।
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