What is behind his mind?
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Just for Record.
Two Screen-shots ...
Butterfly
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कविता / 21-09-2022
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तुम कितनी मेहनत करते हो!
लेकिन फिर थक जाते हो!
क्या क्या नहीं कमाते हो!
लेकिन फिर थक जाते हो!
कुछ उम्मीदें, कुछ सपने,
कुछ दुश्मन, दोस्त अपने,
हर दिन नये बनाते हो,
लेकिन फिर रुक जाते हो।
दौलत, शोहरत, ताकत, किस्मत,
क्या क्या नहीं कमाते हो,
लेकिन फिर थक जाते हो।
फिर तुम जश्न मनाते हो,
जलसा हर रोज़ मनाते हो,
फिर उससे भी थक जाते हो,
खा-पीकर सो जाते हो!
उस मकड़ी को देखो वह,
करती है रोज़ शिकार नया,
बुनती है रोज़ ही जाल नया,
पर रोज़ जाल टूट जाता है,
फिर करती है शुरू, काम हर रोज़,
उस बकरी को देखो वह,
दिन भर चारा चरती है,
क्या वह मेहनत करती है,
करती है आराम हर रोज़!
इस तितली को देखो, यह
दो-चार दिनों तक जीती है,
फूल फूल पर मँडराती है,
बून्द बून्द मधु पीती है!
क्षणभंगुर जीवन उसका,
पर बड़ी शान से जीती है!
क्या वह मेहनत करती है?
क्या वह फिर थक जाती है?
तुम कितनी मेहनत करते हो,
लेकिन फिर थक जाते हो,
यूँ ही हर दिन जीते जीते,
लेकिन आखिर मर जाते हो!
इतनी मेहनत क्यों करते हो,
ये भी तो खुद से पूछो,
थोड़ा सा तो आराम करो,
खुशी खुशी जीवन जी लो!
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