नव-वत्सरे /
विक्रम संवत् 2073
के स्वागत में
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॥ पण्डितश्चपञ्चाङम् ॥
पञ्चाङ्गेभ्यो पंडितो पूर्णो उडुवः इव दीव्यते ।
औडवषाडवौ लब्ध्वा संपूर्णत्वमर्हति ।।1
षडाननो च तथैवो सः लोके जगति संसृते ।
अपि संपूर्णतायामसौ द्वितीयो स्कन्द भूतले ॥2
--
पञ्चाङ्ग के साथ ही पण्डित पूर्ण पंडित होता है, (और पञ्चाङ्ग भी उससे) और तब वह नक्षत्र की तरह प्रकाशमान होकर चमकता है ।
इस प्रकार नक्षत्र-स्वरूप होकर षाडव तथा संपूर्णता को भी पा लेता है ।
(संगीत में पाँच स्वरोंयुक्त राग को औडव, छः स्वरों युक्त को षाडव तथा सात स्वरों से युक्त को संपूर्ण कहा जाता है ।)
और सम्पूर्णता में तो वह मानों इस भूतल पर द्वितीय स्कन्दतुल्य ही होता है ।
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nava-vatsare
|| paṇḍitaścapañcāṅam ||
pañcāṅgebhyo paṃḍito pūrṇo uḍuvaḥ iva dīvyate |
auḍavaṣāḍavau labdhvā saṃpūrṇatvamarhat ||1
ṣaḍānano ca tathaivo saḥ loke jagati saṃsṛte |
api saṃpūrṇatāyāmasau dvitīyo skanda bhūtale ||2
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Meaning :
The almanac (panchAnga in Sanskrit) makes a pandit a true pandit.
Thus having perfection over the 5 senses (of speech, sound / hearing, sight, smell, and touch / taste), He shines like a star in the sky.
Then mastery over the sixth (intellect) and the seventh sense (intelligence), He attains perfection ultimate.
Note :
In Sanskrit ‘udu’ means star,
auḍava means a rAga in Indian Classical Music, that has 5 different kinds of notes,
ṣāḍava means a rAga in Indian Classical Music that has 6 different kinds of notes,
Like-wise, saṃpūrṇameans a rAga that has all the 7 different kinds of notes (cdefgab)
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विक्रम संवत् 2073
के स्वागत में
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॥ पण्डितश्चपञ्चाङम् ॥
पञ्चाङ्गेभ्यो पंडितो पूर्णो उडुवः इव दीव्यते ।
औडवषाडवौ लब्ध्वा संपूर्णत्वमर्हति ।।1
षडाननो च तथैवो सः लोके जगति संसृते ।
अपि संपूर्णतायामसौ द्वितीयो स्कन्द भूतले ॥2
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पञ्चाङ्ग के साथ ही पण्डित पूर्ण पंडित होता है, (और पञ्चाङ्ग भी उससे) और तब वह नक्षत्र की तरह प्रकाशमान होकर चमकता है ।
इस प्रकार नक्षत्र-स्वरूप होकर षाडव तथा संपूर्णता को भी पा लेता है ।
(संगीत में पाँच स्वरोंयुक्त राग को औडव, छः स्वरों युक्त को षाडव तथा सात स्वरों से युक्त को संपूर्ण कहा जाता है ।)
और सम्पूर्णता में तो वह मानों इस भूतल पर द्वितीय स्कन्दतुल्य ही होता है ।
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nava-vatsare
|| paṇḍitaścapañcāṅam ||
pañcāṅgebhyo paṃḍito pūrṇo uḍuvaḥ iva dīvyate |
auḍavaṣāḍavau labdhvā saṃpūrṇatvamarhat ||1
ṣaḍānano ca tathaivo saḥ loke jagati saṃsṛte |
api saṃpūrṇatāyāmasau dvitīyo skanda bhūtale ||2
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Meaning :
The almanac (panchAnga in Sanskrit) makes a pandit a true pandit.
Thus having perfection over the 5 senses (of speech, sound / hearing, sight, smell, and touch / taste), He shines like a star in the sky.
Then mastery over the sixth (intellect) and the seventh sense (intelligence), He attains perfection ultimate.
Note :
In Sanskrit ‘udu’ means star,
auḍava means a rAga in Indian Classical Music, that has 5 different kinds of notes,
ṣāḍava means a rAga in Indian Classical Music that has 6 different kinds of notes,
Like-wise, saṃpūrṇameans a rAga that has all the 7 different kinds of notes (cdefgab)
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